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श्री सत्यनारायण पूजा विधि || Shri Satyanarayan Puja Vidhi
हम यंहा आपको भगवान श्री सत्यनारायण पूजा के बारे में बताने जा रहे हैं ! बताई जा रही श्री सत्यनारायण पूजा विधि को आप पूर्णिमा के दिन या अन्य दिन कर सकोंगे ! यंहा हम आपको श्री सत्यनारायण पूजा की छोटी विधि बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 7821878500 Shri Satyanarayan Puja Vidhi By Acharya Pandit Lalit Trivedi
श्री सत्यनारायण पूजा विधि || Shri Satyanarayan Puja Vidhi ( छोटी पूजा विधि )
श्री सत्यनारायण पूजा कब करें || Shri Satyanarayan Puja Kab Kare
श्री सत्यनारायण का पूजन महीने में एक बार पूर्णिमा या संक्रांति को या किसी भी दिन या समयानुसार किया जा सकता है।
श्री सत्यनारायण पूजा सामग्री || Shri Satyanarayan Puja Samagri
इनकी पूजा में केले के पत्ते व फल के अलावा पंचामृत, पंच गव्य, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा की आवश्यक्ता होती जिनसे भगवान की पूजा होती है. सत्यनारायण की पूजा के लिए दूध, मधु, केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है जो भगवान को प्रिय है. इसके अलावा फल, मिष्टान के अलावा आटे को भून कर उसमें चीनी मिलाकर एक प्रसाद बनता वह भी भोग लगता है. जब सत्यनारण की कथा करवानी हो तो इन सामग्रियों की व्यवस्था कर लेनी चाहिये.
श्री सत्यनारायण पूजा विधि || Shri Satyanarayan Puja Vidhi
जो व्यक्ति सत्यनारायण की पूजा का संकल्प लेते हैं उन्हें दिन भर व्रत रखना चाहिए. पूजन स्थल को गाय के गोबर से पवित्र करके वहां एक अल्पना बनाएं और उस पर पूजा की चौकी रखना चाहिये. इस चौकी के चारों पाये के पास केले का पत्तों को लगाकर और पत्तों के वन्दनवारो से एक सुन्दर मंडप तैयार करना चाहिये, इस चौकी पर ठाकुर जी और श्री सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करें. पूजा करते समय सबसे पहले गणपति की पूजा करें. नवग्रह की स्थापना करके, इनकी पूजा के पश्चात ठाकुर जी व सत्यनारायण की पूजा करें. उसके बाद श्री सत्यनारायण व्रत कथा पढ़े या सुनें.
पूजा और कथा करने के बाद श्री सत्यनारायण जी की आरती करके और सभी देवों की आरती करें और चरणामृत लेकर प्रसाद वितरण करें. पुरोहित जी को दक्षिणा एवं वस्त्र दे व भोजन कराएं. पुराहित जी के भोजन के पश्चात उनसे आशीर्वाद लेकर आप स्वयं भोजन करें.
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