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नवरात्रि पूजा विधि || Navratri Puja Vidhi
यह तो आप सब जानते हो की नवरात्र साल में २ बार आते है ! एक तो चैत्र शुक्ल के और दुसरे आश्विन शुक्ल के शारदीय नवरात्र ! नवरात्र व्रत की शुरूआत प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना से की जाती है। नवरात्र के नौ दिन प्रात:, मध्याह्न और संध्या के समय भगवती दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे नवरात्रि पूजा विधि || Navratri Puja Vidhi को पढ़कर आप भी नवरात्रि का पूजन विधि सही प्रकार से नियम अनुसार कर सकोंगे !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 7821878500 Navratri Puja Vidhi By Acharya Pandit Lalit Trivedi
नवरात्रि पूजा विधि || Navratri Puja Vidhi
नवरात्रि पूजा सामग्री || Navratri Puja Samagri
माँ दुर्गा जी की फोटो, शुद्ध जल से भरा हुआ सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश, अशोक या आम के 5 पत्ते, एक पानी वाला नारियल, रोली, मोली, साबुत चावल, साबुत सुपारी, कपूर, लोंग, इलायची, लाल कपड़ा, चुनरी, शुद्ध साफ की हुई मिट्टी, मिट्टी का पात्र और जौ , पुप्ष की माला, सिक्का !
नवरात्रि पूजा की विधि || Navratri Puja Ki Vidhi
कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल और कलश स्थल को साफ़ व शुद्ध कर लेना चाहिए फिर उसके बाद एक लकड़ी का फट्टा रखकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़ा- थोड़ा चावल रख कर श्री गणेश जी का ध्यान और स्मरण करते हुए मिटटी के पात्र में जौ बोने चाहिए आप जौ को फर्श पर साफ़ करके भी उगा सकते है यदि पात्र नही है तो इसके बाद कलश में जल और थोडा सा गंगाजल डालते समय ‘ॐ वरुणाय नमः’ मंत्र बोलते हुए पूर्ण रूप से जल भर दें और जल से भरा कलश स्थापित करना चाहिए उसके बाद कलश पर रोली से स्वस्तिक या ऊं बनाना चाहिए और कलश के मुख पर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए। कलश में सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखने चाहिए। कलश के मुख को ढक्कन से ढंक देना चाहिए। ढक्कन पर चावल भर देना चाहिए। एक नारियल ले उस पर चुनरी लपेटकर रक्षा सूत्र से बांध देना चाहिए। इस नारियल को कलश के ढक्कन पर रखते हुए सभी देवताओं का आवाहन करना चाहिए। अंत में दीप जलाकर कलश की पूजा करनी चाहिए। कलश पर फूल और मिठाइयां चढ़ाना चाहिए। २ दिन के बाद अंकुर फूटने पर रोज सुबह शाम धुप लगा दे और थोडा थोडा जल ले छींटे दें देने चाहिए ! नोटः नवरात्र में देवी पूजा के लिए जो कलश स्थापित किया जाता है वह सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही होना चाहिए। लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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मांगलिक दोष निवारण || Mangal Dosha Nivaran
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कलश स्थापना के बाद मां श्री दुर्गा की मूर्ति रखे और बाईं तरफ श्री गणेश की मूर्ति या फोटो रखें ! पूजा आरंभ के समय ‘ऊं पुण्डरीकाक्षाय नमः’ मन्त्र बोलते हुए अपने ऊपर जल छिड़कें और अपने पूजा स्थल से दक्षिण और पूर्व के कोने में घी का दीपक जलाते हुए, ‘ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः। दीपो हरतु में पापं पूजा दीप नमोस्तु ते।’ मंत्र बोलते हुए दीपक प्रज्ज्वलित करें ! मां भगवती दुर्गा की अखंड ज्योति जलाये यह ज्योति पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए !
नवरात्रि पूजा संकल्प विधि || Navratri Puja Sankalp Vidhi
इसके बाद पुष्प लेकर मन में ही संकल्प लें कि मां मैं आज नवरात्र की प्रतिपदा से आपकी आराधना अमुक ( कार्य नाम ) कार्य के लिए कर रहा/रही हूं, मेरी पूजा स्वीकार करके इष्ट कार्य को सिद्ध करो ! यदि आपको कोई मंत्र नही आता है श्री दुर्गा माँ का तो आप श्री दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ बोलते हुए सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं ! यह मां शक्ति का यह मंत्र अमोघ है अब आपके पास जो भी यथा संभव सामग्री हो, उसी से आराधना करें ! संभव हो सके तो शृंगार का सामान और नारियल-चुन्नी जरूर चढ़ाएं !
इसके बाद श्री दुर्गा माँ को जोत जलाये उसमे घी डालकर जोत लेते है उसके बाद उसमे इच्छानुसार माँ दुर्गा जी को भोग लगाये और जल के छीटें दें. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें श्रद्धापूर्वक सपरिवार आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना करें ! नवरात्र में एक समय भोजन करें हो सके तो फलाहार करें नवमी के दिन ९ कन्याओ को भोजन खिलाये !
Navratri Puja से जुड़ी कुछ विशेष बात :
१. यदि श्रद्धालु प्रतिदिन Navratri Puja नही कर सकता है तो अष्टमी वाले दिन विशेष पूजा करके वह सभी फल प्राप्त कर सकता है !
२. यदि श्रद्धालु पूरे Navratri Puja में उपवास ना कर सके तो तीन दिन उपवास करने भी सभी फल प्राप्त कर सकता है जिनमे नवरात्र के प्रथम दिन और अष्टमी व् नवमी का व्रत करते हैं ! शास्त्रों के अनुसार यह भी मान्य है !
३. नवरात्र व्रत पूर्ण रूप से देवी पूजन, हवन, कुमारी पूजन और ब्राह्मण भोजन से ही पूरा होता है !
इस नवरात्र माँ श्री दुर्गा का किससे होगा आगमन :
रविवार व सोमवार को हाथी से
शनिवार व मंगलवार को घोड़ा से
गुरुवार व शुक्रवार को पालकी से
बुधवार को नौका आगमन से
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मांगलिक दोष निवारण || Mangal Dosha Nivaran
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इस नवरात्र माँ श्री दुर्गा का किससे होगा प्रस्थान :
रविवार व सोमवार भैंसा से
शनिवार और मंगलवार को सिंह से
बुधवार व शुक्रवार को गज हाथी से
गुरुवार को नर वाहन पर प्रस्थान
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नोट : ज्योतिष सम्बन्धित व् वास्तु सम्बन्धित समस्या से परेशान हो तो ज्योतिष आचार्य पंडित ललित त्रिवेदी पर कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 7821878500 ( Paid Services )
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